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Rudra Dutt Sharma

November 17, 1945 - May 10, 2021

Sh Rudra Dutt Sharma

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Amrish Sharma 2021-05-20 14:42:40 wrote:

शर्मा अंकल से हमारा रिश्ता ऐसा है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है . पिछले १० सालों में जो अपनापन मिला उसको शब्दों का जामा पहनाना असंभव है . अभी भी ऐसा लगता है की वह यहीं पर हैं , कभी भी सीढ़ियों से आते दिख जायेंगे . पर अफ़सोस ' हाँ जी ' की वह आवाज़ अब नहीं सुनाई देगी . दिन के हर प्रहर में ; उनका पडोसी होने की नाते मेरे परिवार का एक अघोषित दखल रहता था . सुबह की सैर , संडे सुबह की चाय , हफ्ते में तीन से चार बार रात १० बजे वाली मुलाकात का एक तरह से नियम ही बन गया था . अब दिल पर पत्थर रख कर स्वीकार करना पड़ेगा की एक देवता स्वरुप इंसान हमारे बीच में से सदा की लिए चला गया है . एक निर्वात (अंग्रेजी में Vaccuum) सारे जीवन बना रहेगा . ठीक वैसा ही झकझोर देने वाला निर्वात जो पहली बार मुझे तब महसूस हुआ था जब मेरे पिता जी का २००१ में स्वर्गवास हुआ था . दोनों घटनाओं में दुःख तो एक सरीके का है और जो सदैव दिल की गहराईयों में कहीं दबा और छुपा ही रहेगा . पर ; जो यादें और जो खुशियां हमने साथ रह कर जुटाई हैं ; वह हम सब को सम्बल देती रहेंगी . रेमंड फैब्रिक की पंच लाइन है ' अ परफेक्ट मैन' . शर्मा अंकल भी एक परफेक्ट मैन थे . अनुराग की शब्दों को चुरा कर लिख रहा हूँ : ' हर उम्र का व्यक्ति २ साल से ८० साल तक ; उनका दोस्त था' . आज वह भौतिक रूप में नहीं हैं पर हमेशा हमारी यादों में रहेंगे . और हाँ जी , आपको याद करते ही आपकी मीठी यादों की मुस्कराहट हर चेहरे पर आती रहेगी . एक निस्वार्थ और सम्पूर्ण व्यक्तित्व को मेरे परिवार का नमन और मेरा चरण वंदन . सदैव आपका . अमरीश

Amrish Sharma 2021-05-20 14:42:40 wrote: शर्मा अंकल से हमारा रिश्ता ऐसा है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है . पिछले १० सालों में जो अपनापन मिला उसको शब्दों का जामा पहनाना असंभव है . अभी भी ऐसा लगता है की वह यहीं पर हैं , कभी भी सीढ़ियों से आते दिख जायेंगे . पर अफ़सोस ' हाँ जी ' की वह आवाज़ अब नहीं सुनाई देगी . दिन के हर प्रहर में ; उनका पडोसी होने की नाते मेरे परिवार का एक अघोषित दखल रहता था . सुबह की सैर , संडे सुबह की चाय , हफ्ते में तीन से चार बार रात १० बजे वाली मुलाकात का एक तरह से नियम ही बन गया था . अब दिल पर पत्थर रख कर स्वीकार करना पड़ेगा की एक देवता स्वरुप इंसान हमारे बीच में से सदा की लिए चला गया है . एक निर्वात (अंग्रेजी में Vaccuum) सारे जीवन बना रहेगा . ठीक वैसा ही झकझोर देने वाला निर्वात जो पहली बार मुझे तब महसूस हुआ था जब मेरे पिता जी का २००१ में स्वर्गवास हुआ था . दोनों घटनाओं में दुःख तो एक सरीके का है और जो सदैव दिल की गहराईयों में कहीं दबा और छुपा ही रहेगा . पर ; जो यादें और जो खुशियां हमने साथ रह कर जुटाई हैं ; वह हम सब को सम्बल देती रहेंगी . रेमंड फैब्रिक की पंच लाइन है ' अ परफेक्ट मैन' . शर्मा अंकल भी एक परफेक्ट मैन थे . अनुराग की शब्दों को चुरा कर लिख रहा हूँ : ' हर उम्र का व्यक्ति २ साल से ८० साल तक ; उनका दोस्त था' . आज वह भौतिक रूप में नहीं हैं पर हमेशा हमारी यादों में रहेंगे . और हाँ जी , आपको याद करते ही आपकी मीठी यादों की मुस्कराहट हर चेहरे पर आती रहेगी . एक निस्वार्थ और सम्पूर्ण व्यक्तित्व को मेरे परिवार का नमन और मेरा चरण वंदन . सदैव आपका . अमरीश

Comments (2)

  • Vasudha Sharma Anonymous user 22-05 2021 10:37

    Dear Bhaiya, I eco with Astha, thanks for your loving and touching tribute.. Very true when you become part of Sharma family we do not know. What I know is that I have a big brother here to support us. Aapko and Shikha ko mera sadar naman

  • Astha Sharma Anonymous user 22-05 2021 10:24

    एक दम दिल को छू जाने वाली श्रद्धांजलि दी है भैय्या। आपका और भाभी का आभार शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। आप पड़ोसी से कब परिवार बन गये, हमें पता नहीं चला

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