23-09 2022 20:37
wrote:
मेरी क़ब्र पर खड़ी होकर रोना नहीं,
मैं वहाँ रहता नहीं;
मैं वहाँ सोता नहीं।
मैं तो हजारो हवाओं-सा उड़ता हूँ,
बरफ में हीरे-सा चमकता हूँ;
गेहूँ में सूरज बन दमकता हूँ।
मैं पतझड़ की धीमी-सी बारिश हूँ,
खामोश सवेरों में, जब तुम सो कर उठती हो;
मैं परिंदों की उडानों के दाइरों में हूँ।
मैं रातों में कोमल-सा चमकता तारा हूँ,
मेरी क़ब्र पर आना तो रोना नहीं;
मैं वहाँ हूँ नहीं;
मैं मरा नहीं।
(This is A poem by Elizabeth Fry, 'Do not stand at my grave and weep' that touched my heart. Have attempted a translation in Hindi for my Uncle Ajit, Auntie Linnie and their three beautiful girls)
23-09 2022 20:37
wrote:
मेरी क़ब्र पर खड़ी होकर रोना नहीं,
मैं वहाँ रहता नहीं;
मैं वहाँ सोता नहीं।
मैं तो हजारो हवाओं-सा उड़ता हूँ,
बरफ में हीरे-सा चमकता हूँ;
गेहूँ में सूरज बन दमकता हूँ।
मैं पतझड़ की धीमी-सी बारिश हूँ,
खामोश सवेरों में, जब तुम सो कर उठती हो;
मैं परिंदों की उडानों के दाइरों में हूँ।
मैं रातों में कोमल-सा चमकता तारा हूँ,
मेरी क़ब्र पर आना तो रोना नहीं;
मैं वहाँ हूँ नहीं;
मैं मरा नहीं।
(This is A poem by Elizabeth Fry, 'Do not stand at my grave and weep' that touched my heart. Have attempted a translation in Hindi for my Uncle Ajit, Auntie Linnie and their three beautiful girls)